स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जोधपुर में एक दर्दनाक हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के VVIP काफिले के चलते ट्रैफिक डायवर्जन और सड़क अवरोध के कारण एक 13 वर्षीय छात्र की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई, जबकि दो अन्य छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा एयरपोर्ट थाना क्षेत्र के पास, वीसी हाउस के निकट हुआ।
जोधपुर….
— kapil bishnoi (@Kapil_Jyani_) August 15, 2025
रेज़िडेंसी रोड पर स्कूल के छात्र को अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर….
छात्र की मौक़े पर ही मौत….
VVIP मूवमेंट के लिए ट्रेफ़िक वन वे किया हुआ था…
मुख्यमंत्री जी का कार्यक्रम कुछ ही दूरी पर हो रहा है…
आज़ादी के पर्व की शुभकामनाएँ हम सबको…!!! pic.twitter.com/mYxJKgl7iY
कैसे हुआ हादसा?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, 15 अगस्त की सुबह स्कूल के तीन छात्र मोटरसाइकिल पर सवार होकर बरकतुल्ला खान स्टेडियम में होने वाले मुख्य कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे थे। उसी समय, मुख्यमंत्री के काफिले के लिए ट्रैफिक रोक दिया गया था और कुछ मार्ग डायवर्ट कर दिए गए थे।
ट्रैफिक व्यवस्था में अचानक हुए बदलाव के कारण एक तेज रफ्तार वाहन ने छात्रों की बाइक को टक्कर मार दी। 13 वर्षीय लोकेंद्र सिंह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अन्य घायल छात्रों में से एक का अस्पताल में ऑपरेशन किया गया और दूसरा प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी पा सका।
VVIP कल्चर पर उठा बड़ा सवाल
हादसे के बाद से ही सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों में VVIP कल्चर को लेकर भारी आक्रोश है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या किसी नेता के काफिले की सुरक्षा आम नागरिक की जान से ज्यादा महत्वपूर्ण है?
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि दुर्घटना के तुरंत बाद पुलिस और प्रशासन ने रक्त के धब्बे तक धो डाले ताकि मुख्यमंत्री का काफिला बिना किसी रुकावट के गुजर सके। इस बर्ताव को लेकर आम जनता में गुस्सा और निराशा साफ दिखाई दी।

पीड़ित परिवार का दर्द
लोकेंद्र के पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा:
“हमारे बच्चे को स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बुलाया गया था, लेकिन वहां पहुँचने का रास्ता ही मौत का कारण बन गया। जिम्मेदार लोगों को जवाब देना चाहिए कि हमारे बेटे की जान का जिम्मेदार कौन है।”
Distressed mother of the deceased child is demanding justice for her son. It's not a happy #IndependenceDay for this mother.pic.twitter.com/D2IqZpKTDA
— NCMIndia Council For Men Affairs (@NCMIndiaa) August 15, 2025
परिवार ने इस घटना को लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता का परिणाम बताया और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
सोशल मीडिया पर उबाल
#VVIPCulture और #JodhpurAccident जैसे हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड करने लगे।
- एक यूज़र ने लिखा, “ब्रिटिश राज में अंग्रेज़ और आज़ाद भारत में नेता — फर्क क्या रह गया?”
- एक अन्य ने कहा, “काफिले के लिए सड़कें खाली करने वाले सिस्टम ने एक मासूम की जान ले ली।”
जबतक लोग भक्ति करना नही छोड़ेंगे तबतक ऐसे ही दिन देखते रहेंगे हम लोगो ने सरकार प्रशासन से सवाल पूछना छोड़ दिया जो सदियों से चली आ रही भेड़ चाल परंपरा पे कोई सवाल ही नही उठाता
— Awaneesh Jaiswal (@AwaneeshJaiswal) August 15, 2025
और जैसी तत्परता VIP movement के लिए होता है सायद उसका १०% नेता लोग काम तो हमारे देश की ये स्थिति ना होती
राजनीतिक प्रतिक्रिया
घटना के बाद विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा पर निशाना साधा। उन्होंने इसे “सत्ता के मद में अंधा प्रशासन” करार दिया और उच्च स्तरीय जांच की मांग की।
सरकार की ओर से जारी प्रारंभिक बयान में कहा गया कि “दुर्घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी”। हालांकि, इस बयान से जनता का आक्रोश कम होता नहीं दिख रहा।
पुलिस और प्रशासन की सफाई
पुलिस का कहना है कि ट्रैफिक डायवर्जन सुरक्षा प्रोटोकॉल का हिस्सा था और दुर्घटना की विस्तृत जांच की जा रही है। वाहन चालक को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है।
VVIP कल्चर बनाम जन सुरक्षा – एक पुराना विवाद
यह हादसा एक बार फिर उस बहस को हवा दे रहा है कि VVIP मूवमेंट के दौरान जन सुरक्षा को लेकर भारत में प्राथमिकता क्या है।
- क्या सड़कें घंटों तक बंद करना जरूरी है?
- क्या एस्कॉर्ट के साथ भी काफिला तेज़ रफ्तार से नहीं जा सकता?
- क्या ऐसे आयोजन में भाग लेने वाले बच्चों के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतज़ाम नहीं होने चाहिए?
And instead of fixing accountability for this incident Jodhpur Police is beating the citizens who are demanding Justice for the diseased child. #IndependenceDay pic.twitter.com/SbuET0hs00
— NCMIndia Council For Men Affairs (@NCMIndiaa) August 15, 2025
जोधपुर की यह घटना केवल एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि VVIP कल्चर और जन सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना अब अनिवार्य हो चुका है। अगर प्रशासन समय रहते इस पर गंभीरता से कदम नहीं उठाता, तो ऐसे हादसे बार-बार दोहराए जा सकते हैं।